Class 10th History Subjective Question 2022 | कक्षा 10वीं इतिहास भारत में राष्ट्रवाद सब्जेक्टिव प्रश्न

Class 10th History Subjective Question :- दोस्तों यहां पर आप सभी को कक्षा 10 वी इतिहास का प्रश्नावली भारत में राष्ट्रवाद का महत्वपूर्ण लघु एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न दिया गया है जो मैट्रिक बोर्ड परीक्षा ( aa online solution ) के लिए काफी महत्वपूर्ण है तो इसे शुरू से अंत तक पढ़े और सभी प्रश्न को याद रखें | कक्षा 10वीं इतिहास भारत में राष्ट्रवाद सब्जेक्टिव | class 10th Itihas subjective question 2022

Class 10th History Subjective Question 2022


प्रश्न 1. सविनय अवज्ञा आंदोलन के क्या परिणाम हुए ?

उत्तर — सविनय अवज्ञा आंदोलन के परिणाम  इस आंदोलन ने राष्ट्रीय आंदोलन के सामाजिक आधार का विस्तार किया । इस आंदोलन में महिलाओं , मजदूर वर्ग , शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के निर्धन व अशिक्षित लोगों की भागीदारी मिली । इस आंदोलन ने श्रमिक एवं कृषक आंदोलन को भी प्रभावित किया ।

( i ) इस आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी विशेष महत्त्व रखती है , क्योंकि महिलाओं का प्रवेश सार्वजनिक जीवन में होने लगा । इस आंदोलन में पहली बार महिलाओं की भागीदारी वृहत् स्तर पर देखते हैं ।

( iii ) इस आंदोलन ने समाज के विभिन्न वर्गों का राजनीतिकरण किया ।

( iv ) इस आंदोलन के अंतर्गत आर्थिक बहिष्कार ने ब्रिटिश आर्थिक हितों को प्रभावित किया , इसके कारण ब्रिटिश वस्त्रों के आयात में गिरावट आई तथा अन्य वस्तुओं के आयात भी प्रभावित हुए । इससे स्वदेशीकरण को बढ़ावा मिला ।

( v ) इस आंदोलन में संगठन बनाने के नए तरीकों का इस्तेमाल हुआ जैसे – ‘ वानर सेना ‘ एवं ‘ मंजरी सेना ‘ इत्यादि । ‘ प्रभात फेरी का आयोजन कर तथा पत्र – पत्रिकाओं का इस्तेमाल करके भी लोगों को संगठित करने का एक नया तरीका अपनाया गया ।

( vi ) इस आंदोलन का एक मुख्य परिणाम था ब्रिटिश सरकार द्वारा 1935 ई . में भारत शासन अधिनियम का पारित किया जाना ।

( vii ) पहली बार ब्रिटिश सरकार ने काँग्रेस से समानता के आधार पर बातचीत की ।

प्रश्न 2. प्रथम विश्वयुद्ध के किन्हीं दो कारणों का वर्णन करें |

उत्तर — युद्ध के दो कारण थे – यूरोपीय शक्ति – संतुलन का बिगड़ना तथा साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा । 1871 के बाद जर्मनी इंगलैंड और फ्रांस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया । साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्द्धा औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप उत्पन्न औपनिवेशिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए हुई ।

प्रश्न 3.रॉलेट एक्ट क्या था ? इसने राष्ट्रीय आन्दोलन को कैसे प्रभावित किया ? 

उत्तर — भारत की क्रांतिकारी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए 1919 में यह ऐक्ट पारित किया गया । इसके अनुसार , संदेह के आधार पर ही किसी को गिरफ्तार कर , बिना मुकदमा चलाए दंडित किया जा सकता था । भारतीयों में इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई । इसे ‘ काला ऐक्ट ‘ कहा गया । इसका घोर विरोध किया गया । इसी के विरोध के फलस्वरूप जालियाँवाला बाग हत्याकांड हुआ |

प्रश्न 4. असहयोग आंदोलन प्रथम जनांदोलन था ; कैसे ?

उत्तर — सितम्बर , 1920 मे कलकत्ता में आयोजित विशेष अधिवेशन में असहयोग गांदोलन का निर्णय लिया गया । इसका नेतृत्व गाँधीजी ने किया । यह प्रथा न – आंदोलन था । इस आंदोलन के मुख्यतः तीन कारण थे खिलाफत का मुद्दा जाब में सरकार की बर्बर कार्रवाइयों के विरुद्ध न्याय प्राप्त करना और अंतत : वराज्य की प्राप्ति करना । इस आंदोलन में दो तरह के कार्यक्रमों को अपनाया गया एक प्रस्तावित कार्यक्रम था दूसरा रचनात्मक कार्यक्रम । असहयोग आंदोलन के प्रस्तावित कार्यक्रम इस प्रकार थे सरकारी उपाधि एवं अवैतनिक सरकारी पदों को छोड़ दिया जाए ।

( i ) सरकारी तथा अर्द्धसरकारी उत्सवों का बहिष्कार किया जाए ।

( ii ) स्थानीय संस्थाओं की सरकारी सदस्यता से इस्तीफा दिया जाए

( iii ) सरकारी स्कूलों एवं कॉलेजों का बहिष्कार , वकीलों द्वारा न्यायालय का बहिष्कार किया जाए तथा आपसी विवाद पंचायती अदालतों द्वारा निबटाया जाए ।

( vi ) असैनिक श्रमिक व कर्मचारी वर्ग मेसोपोटामिया में जाकर नौकरी करने से इनकार करें तथा विदेशी सामानों का पूर्णतः बहिकार करें । असहयोग आन्दोलन के रचनात्मक कार्यक्रम के अंतर्गत शराब का बहिष्कार , हिन्दू – मुस्लिम एकता एवं अहिंसा पर बल , छुआ – छूत से परहेज , स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग , हाथ से बुने खादी का प्रयोग , कड़े कानूनों के खिलाफ सविनय अवज्ञा करना , कर नहीं देना , राष्ट्रीय विद्यालय एवं कॉलेजों की स्थापना करना शामिल था ।

प्रश्न 5. : बिहार के किसान आन्दोलन पर एक टिप्पणी लिखें ।

उत्तर — 1920 के दशक में किसानों ने अपने को वर्गीय संगठनों तथा राजनीतिक दलों के रूप में संगठित करना आरंभ कर दिया था । इसके पीछे किसानों के प्रति कांग्रेस की उदासीन नीति तथा साम्यवादी तथा अन्य वामपंथी दलों द्वारा किसानों में वर्गीय चेतना उत्पन्न करने के कारण किसान सभाओं का गठन हुआ , 1920 के आरंभिक दशक में बिहार , बंगाल , पंजाब तथा उत्तर प्रदेश में किसान सभाओं का गठन हुआ । बिहार में 1922-23 में मुंगेर में शाहमुहम्मद जबेर की अध्यक्षता में किसान सभा की स्थापना हुई । मार्च , 1928 को बिहटा ( पटना ) में स्वामी सहजानंद सरस्वती ने किसान सभा की औपचारिक स्थापना की । नवम्बर , 1929 में सोनपुर में स्वामी सहजानन्द की अध्यक्षता में प्रांतीय किसान सभा का गठन किया गया । श्रीकृष्ण सिंह इसके सचिव तथा यमुना कायर्थी , श्रीगुरुनानक श्री गुरुलाल एवं कैलाश लाल इसके प्रमंडलीय सचिव बने । 11 अप्रैल , 1936 ई ० को अखिल भारतीय किसान सभा का गठन लखनऊ में हुआ । 1936 में बिहार में बकाश्त भूमि ( स्वयं जोती हुई भूमि ) के विरुद्ध आंदोलन शुरू हुआ , जिसे कांग्रेस ने 1937 के फैजपुर अधिवेशन में मुख्य माँग के रूप में जोड़ा ।

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प्रश्न 6. चम्पारण सत्याग्रह के बारे में बताएँ ? अथवा , चम्पारण आंदोलन कब हुआ तथा इसके क्या कारण थे ? 

उत्तर — बिहार में निलहों द्वारा नील की खेती के लिए तीनकठिया व्यवस्था लागू की गई थी जिसके अनुसार प्रत्येक किसान को अपनी कुल भूमि के 3/20 हिस्से या 15 प्रतिशत भू – भाग पर नील की खेती करनी होती थी । इसी व्यवस्था के खिलाफ 1917 में सत्याग्रह शुरू हुआ । गाँधीजी के आगमन एवं उनके प्रयास के बाद किसानों को राहत दी गई । गाँधीजी के प्रयास से चंपारण सत्याग्रह सफल हुआ ।

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प्रश्न 7. प्रथम विश्वयुद्ध के भारत पर हुए प्रभावों का वर्णन करें ।

उत्तर — प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान अनेक महत्त्वपूर्ण घटनाएँ घटीं जिनका भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन पर व्यापक प्रभाव पड़ा ।

( i ) भारतीय नेताओं ने सरकार को युद्ध में स्वराज्य – प्राप्ति की आशा में सहयोग दिया , परंतु ऐसा हुआ नहीं । इससे राष्ट्रवादी गतिविधियाँ बढ़ीं ।

( i ) सरकार की आर्थिक नीतियों की व्यापक प्रतिक्रिया हुई ।

( ii ) सरकार को युद्ध में व्यस्त पाकर क्रांतिकारियों ने अपनी गतिविधियाँ बढ़ा दी ।

( iv ) भारतीयों में बढ़ते असंतोष को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने संवैधानिक सुधारों की घोषणा की ।

( v ) विश्वयुद्ध के दौरान भारतीय राष्ट्रवादी स्वराज्य – प्राप्ति और हिन्दू – मुस्लिम एकता बनाए रखने हेतु प्रयासशील थे । एनी बेसेंट और तिलक ने गृह शासन की माँग के लिए वातावरण तैयार किया ।

प्रश्न 8. भारत में राष्ट्रवाद के उदय के सामाजिक कारणों पर प्रकाश डालें । 

उत्तर — 19 वीं शताब्दी के धार्मिक एवं सामाजिक सुधार आंदोलनों ने राष्ट्रवाद उत्पन्न करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की । ब्रह्म समाज , आर्य समाज , रामकृष्ण मिशन तथा थियोसोफिकल सोसाइटी जैसी संस्थाओं ने हिन्दू धर्म में प्रचलित बुराइयों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया । अंधविश्वास , धार्मिक कुरीतियाँ तथा सामाजिक कुप्रथाएँ , छुआछूत , बाल – विवाह , दहेज प्रथा एवं बालिका हत्या जैसी समस्याओं के समाधान के लिए जनमत तैयार करने में इन संस्थाओं ने सराहनीय कार्य किया । परिणामस्वरूप , सुधार आंदोलनों ने राष्ट्रीयता की भावना जनमानस में कूट – कूटकर भर दी ।

प्रश्न 9.साइमन कमीशन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।  अथवा , साइमन कमीशन का गठन क्यों किया गया ? भारतीयों ने इसका विरोध क्यों किया ?

उत्तर — 1919 के ‘ भारत सरकार अधिनियम ‘ में यह व्यवस्था की गई थी कि दस वर्ष के बाद एक ऐसा आयोग नियुक्त किया जाएगा जो इस बात की जाँच करेगा कि इस अधिनियम में कौन – कौन से परिवर्तन संभव हैं । अतः ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने समय से पूर्व सर जॉन साइमन के नेतृत्व में 8 नवम्बर , 1927 को साइमन कमीशन की स्थापना की । इसके सभी 7 सदस्य अंग्रेज थे । इस कमीशन का उद्देश्य सांविधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करना था । इस कमीशन में किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया जिसके कारण भारत में इस कमीशन का तीव्र विरोध हुआ । विरोध का एक और मुख्य कारण यह भी था कि भारत के स्वशासन के संबंध में निर्णय विदेशियों द्वारा किया जाना था । 3 फरवरी , 1928 को बम्बई पहुँचने पर कमीशन का स्वागत हड़तालों , प्रदर्शनों और काले झंडों से हुआ तथा ‘ साइमन , वापस जाओ ‘ के नारे लगाये गये । साइमन कमीशन की नियुक्ति से भारतीय दलों में व्याप्त आपसी फूट एवं मतभेद की स्थिति से उबरने एवं राष्ट्रीय आंदोलन को उत्साहित करने में सहयोग मिला । ?

प्रश्न 10. रॉलेट ऐक्ट क्या है ? इसका विरोध क्यों हुआ 

उत्तर — भारत में क्रांतिकारियों के प्रभाव को समाप्त करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने न्यायाधीश ‘ सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की । समिति ने 1918 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की तथा समिति के सुझाव के आधार पर केन्द्रीय विधानमंडल में फरवरी , 1919 में दो विधेयक लाये गए । पारित होने के बाद इस विधेयक को ‘ रॉलेट ऐक्ट ‘ के नाम से जाना गया । भारतीय नेताओं के विरोध के बाद भी यह विधेयक 8 मार्च , 1919 को लागू कर दिया गया । इस कानून के अंतर्गत एक विशेष न्यायालय का गठन किया गया जिसके निर्णय के विरुद्ध कोई अपील नहीं की जा सकती थी । इस नियम के अनुसार सरकार किसी भी व्यक्ति को संदेह के आधार पर गिरफ्तार करके उसपर मुकदमा चला सकती थी । उसे अनिश्चित काल के लिए जेल में रख सकती थी तथा उसे दण्डित कर सकती थी । इस ऐक्ट को ‘ बिना अपील , बिना वकील तथा बिना दलील ‘ का भी कानून कहा गया । इसे ‘ काला कानून ‘ एवं ‘ आतंकवादी अपराध अधिनियम ‘ के नाम से भी जाना जाता है । गाँधीजी ने इस कानून को अनुचित , स्वतंत्रता का हनन करनेवाला तथा व्यक्ति के मूल अधिकारों की हत्या करनेवाला बताया । 6 अप्रैल , 1919 ई ० को एक देशव्यापी हड़ताल हुई । दिल्ली में इस आंदोलन का नेतृत्व स्वामी श्रद्धानंदजी ने सँभाली । यह आंदोलन हिंसात्मक हो गया जिसमें लोग गोली के शिकार हुए । गाँधीजी की गिरफ्तारी 8 अप्रैल , 1919 को ‘ पलबल ‘ ( हरियाणा ) में हुई । इस विरोध की अंतिम परिणति 13 अप्रैल , 1919 को जालियाँवाला हत्याकांड के रूप में हुई । रॉलेट ऐक्ट कानून के विरोध ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को ‘ राष्ट्रीय संस्था ‘ के रूप में स्थापित कर दिया ।

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प्रश्न 11. खिलाफत आन्दोलन का कारण बतावें  अथवा , खिलाफत आन्दोलन क्यों हुआ ? 

उत्तर — तुर्की के सुल्तान को खलीफा कहा जाता था । यह इस्लामिक संसार का मालिक माना जाता था । प्रथम विश्व युद्ध में इंगलैण्ड के हाथों जब तुर्की की पराजय हुई तो तुर्की के सुल्तान को सत्ता से हटा दिया गया । भारतीय मुसलमानों ने इसी का विरोध किया । इसे खिलाफत आन्दोलन कहते हैं ।

प्रश्न 12. मुस्लिम लीग के क्या उद्देश्य थे ? 

उत्तर — मुस्लिम लीग की स्थापना 30 दिसम्बर , 1906 को हुई । इसका उद्देश्य था मुस्लिम के हितों की रक्षा करना । इसकी नींव ढाका के नबाव सलीमुल्लाह खाँ ने रखी थी । इसका उद्देश्य मुसलमानों को सरकारी सेवा में उचित स्थान दिलाना एवं न्यायाधीश के पद पर मुसलमानों को जगह दिलाना । विधान परिषद् में अलग निर्वाचक मडल बनाना एवं काउन्सिल में उचित जगह पाना ।

प्रश्न 13.रॉलेट ऐक्ट क्या था ? 

उत्तर — भारत में क्रांतिकारियों के बढ़ते प्रभाव को समाप्त करने के लिए रॉलेट ऐक्ट लाया गया । इसके अनुसार सरकार किसी भी भारतीय को गिरफ्तार कर उसपर बिना मुकदमा चलाये बंदीगृह में रख सकता था । भारतीयों ने इस कानून का तीव्र विरोध किया ।

कक्षा 10वीं इतिहास भारत में राष्ट्रवाद सब्जेक्टिव प्रश्न

प्रश्न 14. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किन परिस्थितियों में हुई ?

उत्तर — कालांतर में भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन क्षेत्रीय स्तरों पर प्रतिदिन बढ़ता गया , प्रारंभ में यह आन्दोलन शिक्षित मध्यम वर्ग तक रहा परन्तु आगे चलकर अनेक भारतीय वर्गों की सहानुभूति इसे प्राप्त होने लगी । इसी समय इंडियन एसोसिएशन द्वारा रेंट बिल का विरोध किया जा रहा था , साथ ही लार्ड लिटन द्वारा बनाए गए प्रेस अधिनियम और शस्त्र अधिनियम का भारतीयों द्वारा जबरदस्त विरोध किया जा रहा था , जिस कारण सरकार को प्रेस अधिनियम वापस लेना पड़ा था । यद्यपि अभी कोई अखिल भारतीय राजनीतिक संगठन नहीं था , फिर भी यह विजय भारतीय राष्ट्रवादियों के लिए मार्ग – प्रशस्ति का काम किया । उन्हें लगने लगा कि संगठित होना अति आवश्यक है । लार्ड रिपन के काल में पास हुए इल्बर्ट बिल का यूरोपियनों द्वारा संगठित विरोध से प्राप्त विजय ने भारतीय राष्ट्रवादियों को संगठित होने का पर्याप्त कारण दे दिया ।

प्रश्न 15. दांडी यात्रा का क्या उद्देश्य था ? 

उत्तर — दांडी यात्रा का उद्देश्य था कि समुद्र के पानी से नमक बनाकर नमक कानून का उल्लंघन करना तथा ब्रिटिश कानून के भय को भारतीय जनता के अंदर से निकालना था ।

प्रश्न 16. मेरठ षड्यंत्र से आप क्या समझते हैं ? 

उत्तर — मार्च 1929 में सरकार ने 31 श्रमिक नेताओं ( मजदूर आंदोलन ) को बंदी बनाकर मेरठ लाया तथा उन पर मुकदमा चलाया गया । इनपर आरोप था कि ये सम्राट् को भारत की प्रभुसत्ता से वंचित करने का प्रयास कर रहे थे । इन नेताओं में मुजफ्फर अहमद , एस . ए . डांगे , शौकत उस्मानी , फिलिप स्पाट तथा ब्रेन बेडली मुख्य थे ।

प्रश्न 17. स्वराज्य पार्टी की स्थापना एवं उद्देश्य की विवेचना करें । 

उत्तर — महात्मा गाँधी द्वारा अचानक असहयोग आंदोलन स्थगित कर दिए जाने से कांग्रेस के एक वर्ग में घोर निराशा और असंतोष फैल गया । देशबंधु चित्तरंजन दास और मोतीलाल नेहरू द्वारा सशक्त नीति के अपनाए जाने पर बल देने लगे । इनका विचार था कि कांग्रेस को एसेंबली के बहिष्कार की नीति त्याग देनी चाहिए , कौंसिलों में प्रवेश कर सरकारी नीतियों का विरोध करना चाहिए तथा सरकार विरोधी जनमत तैयार करना चाहिए । यही वर्ग कांग्रेस का परिवर्तनवादी दल ‘ कहा जाने लगा । 1922 में कांग्रेस के गया अधिवेशन में कौंसिल में प्रवेश के प्रश्न पर मतदान हुआ जिसमें ‘ परिवर्तनवादी ‘ पराजित हुए । इसके बाद 1923 ई ० में देशबंधु चित्तरंजन दास और मोतीलाल नेहरू ने इलाहाबाद में एक नवीन ‘ स्वराज्य पार्टी ‘ की स्थापना की । स्वराज्य पार्टी का प्रथम सम्मेलन इलाहाबाद में 1923 में हुआ जिसमें देशबंधु चित्तरंजन दास इसके अध्यक्ष और मोतीलाल नेहरू इसके सचिव बने । इस दल ने कांग्रेस के अंदर रहकर अपनी अलग नीतियाँ चलाने का निश्चय किया । स्वराजियों का भी उद्देश्य स्वराज्य की प्राप्ति ही था , लेकिन इसे प्राप्त करने का उनका तरीका अलग था । इसके सदस्य चाहते थे कि केन्द्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं में प्रवेश कर वे सरकार पर दबाव डालें कि वह राष्ट्रीय माँगों को एक निश्चित अवधि के अंदर पूरा करे । सरकार अगर ऐसा नहीं करती है तो विधानमंडलों के जरिए शासन करना असंभव कर दिया जाए । इसके सदस्यों ने सरकारी पद स्वीकार नहीं करने , नगरपालिका चुनावों में भाग नहीं लेने की प्रतिज्ञा की । साथ ही , इसने विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार और कांग्रेस के रचनात्मक कार्यों में सहयोग देने का भी निर्णय लिया ।

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18. जालियाँवाला बाग हत्याकांड का वर्णन संक्षेप में करें । 

उत्तर — रॉलेट ऐक्ट के विरोध में जनता पंजाब के अमृतसर स्थिति जालियाँवाला बाग में इकट्ठी हुई । 13 अप्रैल , 1919 को इन निहत्थे लोगों पर जनरल ओ ० डायर ने अंधाधुंध गोलियाँ बरसा दी , जिससे हजारों लोग मारे गए । इससे सर्वत्र हाहाकार मच गया । विश्वभर में इस घटना की निंदा शुरू हो गई । राष्ट्रवाद का क्या अर्थ है ? -राष्ट्रवाद का शाब्दिक अर्थ है ‘ राष्ट्रीय चेतना का उदय ‘ । ऐसी राष्ट्रीय चेतना का उदय जिसमें आर्थिक , सामाजिक , राजनीतिक एवं सांस्कृतिक एकीकरण महसूस पण 20. मोपला कौन थे ? उत्तर_केरल राज्य के दक्षिणी मालाबार तट पर बसे मुसलमान पट्टेदारों तथा खतिहरों को मोपला कहा जाता था । ये अधिकांशत : छोटे किसान या छोटे व्यापारी थे । मोपला मुख्यतः हिन्दू नम्बूदरी एवं नायर भूस्वामियों के बटाईदार काश्तकार थे । उत्तर हो सके ।


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