Class 10th तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण Subjective
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[1] मेंडलीफ ने तत्वों का वर्गीकरण किस आधार पर किया ?
उत्तर — मेंडलीफ ने अपनी सारणी में तत्वों को उनके मूल गुणधर्म, परमाणु द्रव्यमान तथा रासायनिक गुणधर्म में समानता के आधार पर व्यवस्थित किया।
[2] आवर्त में बायीं से दायी ओर जाने पर इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति कैसे परिवर्तित होगी ?
उत्तर — आवर्त में बायीं से दायीं ओर बढ़ने पर बाहरी कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या क्रमानुसार बढ़ती जाती है। अतः अष्टक के प्राप्ति में एकांतर रूप से कम इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होगी। अतः इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति बढ़ती है।
[3] आपके अनुसार उत्कृष्ट गैसों को अलग समूहों में क्यों रखा गया ?
उत्तर — चूँकी यह गैसे मेंडलीफ आवर्त सारणी के बनने के काफी बाद पाया गया, जिसे सारणी में खाली जगहों में रखा गया। सभी गैसे अभिक्रियाशील थे, अतः उन्हें एक अलग समूह में रखना उचित था।
[4] समूह में ऊपर से नीचे जाने पर संयोजकता किस प्रकार परिवर्तित होती है ?
उत्तर — समूह में ऊपर से नीचे जाने पर तत्वों की संयोजकताएँ स्थिर रहती है। समूह 1 के तत्वों की संयोजकताएँ 1 और समूह 2 के तत्वों की संयोजकताएँ 2 होती है। इसी प्रकार समूह 3 और 4 के परमाणुओं की संयोजकताएँ 3 और 4 होगी।
[5 ] आवर्त में बायीं से दायीं ओर जाने पर परमाणु त्रिज्या क्यों घटती है ?
उतर — नाभिक में आवेश के बढ़ने से यह इलेक्ट्रॉनों को नाभिक की ओर खींचता है जिससे परमाणु का आकार घटता है औरइसकी परमाणु त्रिज्या घट जाती है।
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[6] परमाणु संख्या 12 वाले मैग्नीशियम तथा परमाणु संख्या 16 वाले सल्फर की संयोजकता क्या है ?
उत्तर — मैग्नीशियम की परमाणु संख्या 12 है। अतः इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ( 2,8,2) होगी। अतः इस परमाणु की संयोजकता 2 है।
सल्फर का परमाणु संख्या 16 हैं इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (2,8,6) होगी। संयोजकता इलेक्ट्रॉन 6 है लेकिन 2 इलेक्ट्रॉन की प्राप्ति कर अष्टक पूरा करता है।
अतः इसकी संयोजकता 2 होगी।
[7] हीलियम एक अक्रियाशील गैस है जबकि निआॅन की अभिक्रियाशीलता अत्यंत कम है। इनके परमाणुओं में क्या समानता है ?
उत्तर — दोनों तत्वों की संयोजकता इलेक्ट्रॉन शून्य (0) है। हीलियम के अधात्विक अभिलक्षण निअॉन के अधात्विक अभिलक्षण से ज्यादा है अर्थात निअॉन तत्व की अभिक्रियाशीलता हीलियम से कम है।
दोनों तत्वों में शून्य संयोजकता है। अतः इसे शून्य संयोजकता के आधार पर समान माना जाता है।
[8] समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति कैसे परिवर्तित होगी ?
उत्तर — समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर अधातुओं में कोशो की संख्या बढ़ती है लेकिन संयोजकता इलेक्ट्रॉन समान रहती है। अतः इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति घटती है जबकि कोशों संख्या बढ़ती है। अधातु में ऋणात्मकता की प्रवृत्ति रहती है जिससे यह इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति रखता है। लेकिन समूह में ऊपर से नीचे आने पर इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति घटती है क्योंकि आयनीकरण ऊर्जा की कमी होती है।
[9] आवर्त में इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति कैसे बदलेगी ?
उत्तर — आवर्त में जैसे-जैसे संयोजकता कोश के इलेक्ट्रॉनों पर किया जाने वाला प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता है, इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति घटती जाती है।
[10] तत्वों के वर्गीकरण में डॉबेराइनर के क्या आधार थे ?
उत्तर — डॉबेराइनर ने समान गुण-धर्मों वाले तत्वों को समूहों में व्यवस्थित करने का प्रयास किया। उन्होंने तीन तीन तत्व वाले कुछ समूहों को चुना एवं उन समूहों को त्रिक कहा। डॉबेराइनर ने बताया कि त्रिक के तीनों तत्वों का उनके परमाणु द्रव्यमान, के आरोही क्रम में रखने पर बीच वाले तत्व का परमाणु द्रव्यमान अन्य दो तत्वों के परमाणु द्रव्यमान का लगभग औसत होता है।
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