Loktantra Ki Uplabdhiyan Subjective Class 10th

Loktantra Ki Uplabdhiyan Subjective Class 10th | लोकतंत्र की उपलब्धियां सब्जेक्टिव प्रश्न उत्तर

Class 10th Social Science

Loktantra Ki Uplabdhiyan Subjective Class 10th:- दोस्तों यहां पर Class 10th Political Science का प्रश्नावली लोकतंत्र की उपलब्धियां का महत्वपूर्ण Subjective Question दिया गया है जो बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण है | Achievements of Democracy Subjective Question Answer Class 10th


Matric Exam 2022 Political Science Loktantra Ki Uplabdhiyan Subjective Answer

1.Q भारत में लोकतंत्र के भविष्य को आप किस रूप से देखते हैं।

उत्तर भारतवर्ष में लोकतंत्र का भविष्य अत्यंत उज्जवल है क्योंकि प्रारंभिक से यहां पर एक लोक कल्याणकारी सरकार का गठन किया गया है जो जनता को मौलिक अधिकार प्रदान करती है तथा व्यक्ति की गरिमा को बढ़ाने का प्रयास करती है भारत सरकार विभिन्न समूहों के मध्य सत्ता का विभाजन करके सामान्य स्थापित करती है यह आर्थिक प्रगति तो होती ही है परंतु सामाजिक दायित्वों का निर्वहन भी किया जाता है। यह विश्वशांति एवं सौहार्द के सिद्धांत पर चलने वाले राष्ट्र है यही कारण है कि इसकी विश्व स्तर पर उत्तम छवि है

2.Q लोकतंत्र के क्या अवगुण है

उत्तर लोकतंत्र के लाभों को देखने के बाद हम कह सकते हैं कि यह शासन का सबसे अच्छा स्वरूप है परंतु यह ठीक नहीं है

इस व्यवस्था के कुछ अवगुण भी हैं जो निम्नलिखित है

1. समानता का सिद्धांत और अप्राकृतिक है – लोकतंत्र का मुख्य आधार समानता का सिद्धांत है परंतु आलोचक यह कहते हैं कि समानता का सिद्धांत ही अप्राकृतिक है।

2. गुणों की बताएं संख्या को महत्व देना – लोकतंत्र के गुणों की वजह संख्या को अधिक महत्व दिया जाता है

3. यह जवाबदेह सरकार का गठन नहीं करता – लोकतंत्र में सरकार जनता के प्रति जवाबदेह होती है लेकिन ऐसा असल में होता नहीं है चुनाव के बाद नेता जनता की परवाह नहीं करते हैं

4. अस्थिर तथा कमजोर सरकार – लोकतंत्र में सरकार को अस्थिर तथा कमजोर होती है बहुदलीय व्यवस्था में सरकार तेजी से बदलती रहती है

3.Q भारतीय लोकतंत्र कितना सफल है

उत्तर आज दुनिया के लगभग 100 देशों में लोकतंत्र किसी न किसी रूप में विद्यमान है लोकतंत्र का लगातार प्रसार एवं उससे मिलने वाला जनसमर्थन यह साबित करता है कि लोकतंत्र अन्य सभी शासन व्यवस्थाओं से बेहतर है व्यवस्था में सभी नागरिकों को मिलने वाला समान अवसर व्यक्ति की स्वतंत्रता एवं गरिमा आकर्षण के बिंदु है साथ ही इसमें आपसी विवाद हो एवं टकराव को कम करने और गुण दोष के आधार पर सुधार की निरंतर संभावनाएं लोगों को इसके करीब लाती है इस प्रसंग में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लोकतंत्र में फैसले किसी व्यक्ति विशेष द्वारा नहीं बल्कि सामूहिक सहमति के आधार पर लिए जाते हैं

लोकतंत्र के प्रति लोगों की उम्मीदों के साथ-साथ इकाई के भी कम नहीं होती है लोकतंत्र से लोगों की अपेक्षाएं इतनी ज्यादा हो जाती है कि इसकी थोड़ी सी भी कमी खलने लगती है कभी-कभी तो हम लोकतंत्र को हर मर्ज की दवा मान लेने का भी खतरा मोल लेते हैं और इसे तमाम सामाजिक राजनीतिक एवं आर्थिक विषमता को समाप्त करने वाली जादुई व्यवस्था मान लेते हैं इन तरह का अतिवादी दृष्टिकोण लोगों में इसके प्रति अरुचि एवं अपेक्षा का भाव भी पैदा करता है परंतु लोकतंत्र के प्रति यह नजरिया ना तो सिद्धांत रूप में और ना ही व्यवहारिक धरातल पर स्वीकार्य है अतः लोकतंत्र की उपलब्धियों को जांचने परखने से पहले हमें यह समझ बनानी पड़ेगी कि लोकतंत्र अनुशासन व्यवस्थाओं से बेहतर एवं जन्म मुखी है अब नागरिकों का दायित्व है कि वे इस स्थितियों में लाभ उठाकर लक्ष्य की प्राप्ति करें


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4.Q लोकतांत्रिक राजनीति क्या है

उत्तर वह राजनीति जिसमें औपचारिक संविधान हो जिसमें लगातार चुनाव होते रहते हो जिसमें राजनीतिक दल हो तथा जो जनता के अधिकारों की गारंटी देती है उसे ही लोकतांत्रिक राजनीति करते हैं

5.Q लोकतंत्र में अल्पमत और बहुमत के आपसी संबंध कैसे होने चाहिए

उत्तर लोकतंत्र में बहुमत को अल्पमत पर अपना विचार अपना नहीं चाहिए वरना उससे मिलकर चलाना चाहिए ताकि अल्पमत वालों को लगे नहीं कि उसके अधिकारों का हनन हो रहा है

6.Q लोकतांत्रिक सरकार किसे कहते हैं

उत्तर वह सरकार जो जनता के द्वारा चुनी गई हो जो जनता के कल्याण के लिए कार्य करती है तथा जो अपनी जनता को समानता प्रदान करती है उसे ही लोकतांत्रिक सरकार कहते हैं

7.Q गैर लोकतांत्रिक सरकार किसे कहते हैं

उत्तर जिस सरकार के गठन में जनता की भागीदारी नहीं होती है उसे गैर लोकतांत्रिक सरकार कहते हैं ऐसी सरकार में जनता के सारे राजनीतिक अधिकार समाप्त हो जाते हैं।

8.Q क्या लोकतंत्र स्वतंत्र एवं निष्पक्ष मताधिकार है

उत्तर आज हम भारतीय लोकतंत्र में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष अधिकार के गरीब हैं स्वतंत्रता के बाद और आज की इस संदर्भ में तुलना करे तो स्थिति अपेक्षाकृत काफी बेहतर है

9.Q लोकतंत्र से आप क्या समझते हैं

उत्तर लोकतंत्र में जनता मतदान करती है अपने चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा शासनच है और यह शासन जनहित में काम करते हुए जनता के प्रति उत्तरदाई होती है।

10.Q लोकतंत्र की सफलता के लिए कौन-कौन सी आवश्यक शर्तें हैं

उत्तर लोकतंत्र की सफलता के लिए निम्न आवश्यक शर्तें करते हैं

1. जनता की लोकतंत्र में पूरी आस्था हो
2. सुशिक्षा जिससे मनुष्य अपने अधिकार और कर्तव्य का सही ज्ञान प्राप्त कर सके सुशिक्षित नागरिक ही अपने मताधिकार का सही प्रयोग कर सकते हैं।
3. आर्थिक समानता की स्थापना हो कहां भी जाता है कि आर्थिक समानता के अभाव में राजनीतिक स्वतंत्रता बेकार है
4. स्थानीय स्वशासन की स्थापना हो इससे नागरिकों को राजनीतिक एवं शासन के कार्यों में भाग लेने का अधिक अवसर मिलता है

11.Q गैर लोकतांत्रिक व्यवस्था के फैसले भी क्षोभ और निराशाजनक होती है क्यों।

उत्तर गैर लोकतांत्रिक व्यवस्था के फैसले तत्कालीन एवं तुरंत दिए जाने के कारण व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों से प्रभावित एक सामूहिक जनकल्याण से अभिप्रेरित नहीं रहने के कारण संपूर्ण एवं निराशाजनक होती है

12.Q लोकतंत्र के प्रति लोगों में अविश्वास पैदा होने लगता है क्यों

उत्तर अत्यधिक अपेक्षा रखने के कारण तथा यह समझ रखने के कारण की सभी सामाजिक राजनीतिक एवं आर्थिक विषमताओं को समाप्त करने देने वाली व्यवस्था लोकतंत्र है अविश्वास पैदा होने लगता है

13.Q हमारा लोकतंत्र पश्चिम के देशों से नायाब है कैसे

उत्तर भारतीय लोकतंत्र निरंतर विकास एवं परिवर्धन कर रहा है तथा आपातकाल के पूर्व तत्कालीन एवं प्रचार की स्थितियों को समर्थक रूप से जलने वाला विश्व का एकमात्र लोकतांत्रिक व्यवस्था होने के कारण नायाब है

14.Q लोकतांत्रिक सरकार के कोई दो अवगुण लिखिए

उत्तर लोकतांत्रिक सरकार के दो अवगुण

1. यह तो सरकार में फैसला लेने में बड़ा समय लग जाता है
2. भ्रष्टाचार पर काबू पाने में यह सरकार असफल साबित हुई है

15.Q भारतवर्ष में लोकतंत्र कैसे सफल हो सकता है

उत्तर भारतीय लोकतंत्र की स्थापना पूरी दुनिया में बड़ी है लोकतंत्र के उत्तरोत्तर विकास में जनता भी की भागीदारी मे विस्तार हुआ है। फिर भी भारतीय लोकतंत्र इतना परिपक्व नहीं हुआ है जितना होना चाहिए था इसका कारण है कि जनता का जुड़ाव उस स्तर तक नहीं पहुंचा है जहां जनता सीधे तौर पर हस्तक्षेप कर सके अतः इसकी सफलता के लिए आवश्यक है कि सर्वप्रथम जनता शिक्षित हो शिक्षा ही उनके भीतर जागरूकता पैदा कर सकती है यह सही है कि लोकतांत्रिक सरकारें बहुमत के आधार पर बनती है परंतु लोकतंत्र का अर्थ बहुमत किराए से चलने वाली व्यवस्था नहीं है बल्कि यहां अल्पतम की आकांक्षाओं पर ध्यान देना आवश्यक होता है भारतीय लोकतंत्र की सफलता के लिए आवश्यक है कि सरकारें प्रत्येक नागरिक का अवसर प्रदान करें ताकि वह किसी ना किसी अवसर पर बहुमत का हिस्सा बन सके लोकतंत्र की सफलता के लिए यह भी आवश्यक है कि व्यक्ति के साथ-साथ विभिन्न लोकतांत्रिक संस्थाओं के अंदर आंतरिक लोकतंत्र हो अर्थात सार्वजनिक मुद्दों पर वह सुबह इस शो में कमी नहीं हो राजनीतिक दलों के लिए तो यह अति आवश्यक है क्योंकि सत्ता की बागडोर संभाल ना उसका लक्ष्य होता है विडंबना है कि भारतवर्ष में नागरिकों के स्तर पर और खास तौर पर राजनीतिक दलों के अंदर आंतरिक विश्व विमर्श अथवा आंतरिक लोकतंत्र की स्वस्थ परंपरा का स्वर था अभाव दिखता है जाहिर है कि इसके दुष्परिणाम के तौर पर सत्ताधारी लोगों के चरित्र एवं व्यवहार गैर लोकतांत्रिक दिखेगी और लोकतंत्र के प्रति हमारे विश्व में कमी होगी इसे जनता अपनी सक्रिय भागीदारी एवं लोकतंत्र में अटूट विश्वास से दूर कर सकते हैं


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16.Q लोकतंत्र की विभिन्न प्राथमिकताओं पर एक निबंध लिखें

उत्तर लोकतंत्र की प्राथमिकताएं – लोकतंत्र को सर्वोत्तम शासन व्यवस्था का रूप माना गया है इस दृष्टि से इनकी कुछ एक प्राथमिकताएं पूर्ण होने पर ही हम इसे सर्वोत्तम मान सकते हैं प्रथम प्राथमिकता है उत्तरदाई एवं 22 शासन की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार होने के कारण या संभावना जनता के प्रति उत्तरदाई होती है तथा नियमानुसार चुने जाने के कारण बेड भी इसकी दूसरी प्राथमिकता है आर्थिक समृद्धि और विकास चुकी प्रतिनिधि संपूर्ण क्षेत्र से चुनकर आते हैं इसीलिए सबका विकास भी इसका लक्ष्य होता है सामाजिक विषमता में सामान जलाना इसकी तीसरी प्राथमिकता है समाज में अनेक विषमताओं विद्यमान होती है जिन्हें आपसी समझदारी एवं विश्वास से दूर करना लोकतंत्र का लक्ष्य होता है विभिन्न जातियों और वर्गों समुदायों के बीच की खाई को पाटना लोकतंत्र का विकट लक्ष्य है अन्य शासन व्यवस्था इन सब बातों से उदासीन रहती है

17.Q लोकतंत्र की अतिथियों में सामाजिक विषमताओं को पाटने में मददगार होता है और सामंजस्य के वातावरण का निर्माण करता है।

उत्तर समाज में विद्यमान अनेक सामाजिक विषमताओं जिसे हम विविधताओं के रूप में भी देख सकते हैं उनके बीच आपसी समझदारी एवं विश्वास को बढ़ाने में लोकतंत्र मददगार होता है तात्पर्य यह है कि लोकतंत्र नागरिकों को शांति पूर्वक जीवन जीने में सहायक होता है

यह सच है कि समाज में विभिन्न जातीय भाषाई एवं संप्रदायिक समूह के बीच मतभेद एवं टकराव बने रहते हैं लोकतंत्र विभिन्न जातियों एवं धर्मों के बीच वैमनस्य एवं व्रतियों को कम करने में सहायक हुआ है साथ ही उनके बीच टकराव को हिंसक एवं विस्फोटक बनने से रोका है ऐसे मत भेज दो के बने रहने के कई सामाजिक आर्थिक एवं संस्कृति के कारण है इसके बीच टकराव तब होते हैं जब इनकी बातों की अनदेखी की जाती है अथवा उन्हें दबाने की कोशिश की जाती है समाजिक मत भेज दो एवं मंत्रों के बीच बातचीत एवं आपसी समझदारी के माहौल के निर्माण में लोकतंत्र ही अहम भूमिका होती है लोकतंत्र लोगों के बीच एक-दूसरे के सामाजिक एवं सांस्कृतिक विविधताओं के प्रति सम्मान भाव को विकसित करता है इस बात को दावे के साथ कहा जा सकता है कि विभिन्न सामाजिक विषमताओं एवं विभिन्न नेताओं के बीच संवाद एवं सामंजस्य के निर्माण में सिर्फ लोकतंत्र ही सफल रहा है

इसके अतिरिक्त नागरिकों की गरिमा एवं उनकी आजादी की दृष्टि से भी लोकतंत्र शासन व्यवस्थाओं से सिर्फ आगे ही नहीं बल्कि सर्वोत्तम है लोकतंत्र की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां लोगों के बीच नियमित संवाद की गुंजाइश बनी रहती है संवाद का अर्थ है वाद विवाह के पश्चात एक सकारात्मक निष्कर्ष तक पहुंचने की कोशिश अर्थात अपने बातों को निर्भीक करता से रखना और दूसरों की बातों को गंभीरता से सुनने की स्वस्थ परंपरा निर्मित करना इस दृष्टि से लोकतंत्र से बेहतर और कोई दूसरी शासन व्यवस्था नहीं हो सकती है जहां हर तरह की आजादी होती है

इस प्रकार हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि सामाजिक विषमताओं एवं विविधताओं के बीच आपसी समझदारी एवं सामंजस्य के निर्माण में लोकतंत्र अन्य गैर लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं से काफी आगे है


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