Political Science Class 10th Subjective :- दोस्तों यदि आप लोग बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आप सभी को सामाजिक विज्ञान का प्रश्नावली लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी से संबंधित महत्वपूर्ण लघु एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न दिया गया है जो मैट्रिक परीक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण है | class 10th subjective loktantra mein satta ke sajhedari | Political Science Subjective Question Class 10th
Matric Exam Political Science Subjective Question Class 10th
1.Q धर्मनिरपेक्ष राज्य से क्या समझते हैं
उत्तर ⇒ वैसा राज्य जिसमें किसी भी धर्म विशेष को प्राथमिकता ना देकर सभी धर्मों को समान आदर प्राप्त हो उसे धर्मनिरपेक्ष राज्य कहते हैं जैसे – भारत
2.Q सांप्रदायिकता की परिभाषा दें
उत्तर ⇒ जब हम यह कहते हैं कि धर्म ही समुदाय का निर्माण करती है तो सांप्रदायिक राजनीति का जन्म होता है और इस अवधारणा पर आधारित सोच ही संप्रदायिकता है इसके अनुसार एक धर्म विशेष में आस्था रखने वाले एक ही समुदाय के होते हैं और उनके मौलिक तथा महत्वपूर्ण हित एक जैसे होते हैं
3.Q भारत के संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है
उत्तर ⇒ यधपि मनुष्य जाति की आबादी में महिलाओं की संख्या आधा है पर सार्वजनिक जीवन में खासकर राजनीतिक में उनकी भूमिका नगण्य है पहले सिर्फ पुरुष वर्ग को ही सार्वजनिक मामलों में भागीदारी करने वोट देने या सार्वजनिक पदों के लिए चुनाव लड़ने की अनुमति थी सार्वजनिक जीवन में हिस्सेदारी है तो महिलाओं को काफी मेहनत करनी पड़ी महिलाओं के प्रति समाज के घटिया सोच के कारण ही महिला आंदोलन की शुरुआत हुई महिला आंदोलन की मुख्य मांगों में सत्ता में भागीदारी की मांग सर्वोपरि रही है औरतों ने सोचना शुरु कर कि जब तक औरतों का सत्ता पर नियंत्रण नहीं होगा तब तक इस समस्या का निपटारा नहीं होगा राजनीतिक गलियारों में इस बात पर बहस छिड़ गई कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने का उत्तम तरीका यह होगा कि चुने हुए प्रतिनिधि की हिस्सेदारी बढ़ाई जाए भारत की लोकसभा में महिला प्रतिनिधियों की संख्या 59 हो गई है फिर भी इस का प्रतिशत 11% के नीचे ही है आज भी आम परिवार की महिलाओं को सांसद या विधायक बनने का अवसर छीण है महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना लोकतंत्र के लिए शुभ होगा भारत में हाल में महिलाओं को विधायिका में 33% आरक्षण देने की बात संसद में पास हो चुकी है
Class 10th Political Science Chapter 1 Subjective Question
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4.Q संप्रदायिक सद्भाव के लिए आप क्या करेंगे
उत्तर ⇒ भारत में विभिन्न धर्मों के लोग निवास करते हैं धार्मिक पहचान के आधार पर राजनीतिक व आर्थिक स्वार्थों की पूर्ति के कारण संप्रदायिक सद्भाव के अस्थान पर संप्रदायिक संघर्ष का जन्म होता है संप्रदायिक सद्भाव के लिए शिक्षा व जागरूकता का विकास विभिन्न धर्म के लोगों में आपसी समझ का विकास तथा धर्म के राजनीतिक उपयोग पर रोक लगाना आवश्यक है
5.Q लोकतंत्र के व्यवस्थाएं किस प्रकार अनेक तरह के सामाजिक विभाजनो को संभालती है उदाहरण के साथ बतावे।
उत्तर ⇒ समानता और स्वतंत्रता लोकतंत्र के दो आधार है समानता का सिद्धांत जाति धर्म वंश लिंग भाषा क्षेत्र जैसे किसी भी आधार पर व्यक्ति के विविध को अस्वीकार करता है इसकी जगह कानून के समक्ष समानता समान अवसर समान संरक्षण की स्थापना करता है। स्वतंत्रता के अंतर्गत सभी व्यक्तियों को समान स्वतंत्रता प्रदान की जाती है जिसमें भाषण एवं अभिव्यक्ति, संघ संगठन बनाने, वेसा व्यवस्थाएं चुनने , मताधिकार यादि शामिल है।
6.Q भाषा नीति क्या है
उत्तर ⇒ भारत वास्तव में विविधता पूर्ण देश है जहां 114 से अधिक प्रमुख भाषाओं का प्रयोग होता है इसमें इन सभी भाषाओं के प्रति आदर होना चाहिए यह सब मिलकर हमारे भाषाएं विरासत को समृद्ध बनाते हैं तथा उन्हें साथ विकसित होने में मदद करते हैं अतः प्रमुख भाषाओं को समाहित करने की नीति ने राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया है भारतीय संविधान में प्रमुख भाषाओं को सम्मानित किया गया है
जैसे – हिंदी , अंग्रेजी, बांग्ला , तेलुगु , कन्नङ यही भाषा नीति है इसे अपनाकर राष्ट्रीय एकता को सबल बनाया गया है।
7.Q सत्ता की साझेदारी से आप क्या समझते हैं
उत्तर ⇒ सत्ता की साझेदारी एक ऐसी कुशल राजनीतिक पद्धति है जिसके द्वारा समाज के सभी वर्गों को देश की शासन प्रक्रिया में भागीदार बनाया जाता है ताकि कोई भी वर्ग यह महसूस ना करें कि उसकी अवहेलना हो रही है वास्तव में सत्ता की भागीदारी लोकतंत्र का मूल मंत्र है जिस देश में सत्ता की साझेदारी को अपनाया वहां गृहयद्ध भी संभावना समाप्त हो जाती है।
सरकार के तीनों अंगों विधायिका ,कार्यपालिका तथा न्यायपालिका में भी सत्ता की भागीदारी को अपनाया जाता है इस प्रकार केंद्रीय सरकार और राज्य सरकारों में भी सत्ता की भागीदारी के सिद्धांत पर शक्ति का बंटवारा कर दिया जाता है
8.Q भारत में सत्ता की साझेदारी के क्या लाभ है
उत्तर ⇒ सत्ता की साझेदारी के निम्नलिखित मुख्य लाभ है
1. सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र का मूल मंत्र है जिसके बिना प्रजातंत्र की कल्पना ही नहीं किया जा सकता
2. जब देश के सभी लोगों को देश की प्रशासनिक व्यवस्था में भागीदार बनाया जाता है तो देश और भी मजबूत होता है
3. जब बिना किसी भेदभाव के सभी जातियों के हितों को ध्यान में रखा जाता है और उनकी भावनाओं का आदर किया जाता है तो किसी भी प्रकार के संघर्ष की संभावना समाप्त हो जाती है तथा देश प्रगति के पथ पर अग्रसर होता है
4. सत्ता की साझेदारी अपनाकर विभिन्न समूहों के बीच आपसी टकराव तथा गृह युद्ध की संभावना को समाप्त किया जा सकता है
Loktantra Mein Satta Ki Sajhedari Ka Subjective Question
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9.Q स्तर के दशक से आधुनिक दशक के बीच भारतीय लोकतंत्र का सफर का संक्षिप्त वर्णन करें
उत्तर ⇒ स्तर के दशक के पूर्व भारत की राजनीतिक और चेतना सुविधा परस्त हित समूह के बीच भूलती रहे दूसरे शब्दों में कहें तो यह अतिशयोक्ति नही होगी की 1967 तक राजनीतिक में स्वर्ण जातियों का वर्चस्व रहा अस्तर से 90 तक के दशक के बीच स्वर्ण और मध्य पिछड़ी जातियों में सत्ता पर कब्जा के लिए संघर्ष चला 90 के दशक के उपरांत पिछड़े जातियों का वर्चस्व तथा दलितों की जागृति की अवधारणाएं राजनीतिक गलियारों में उपस्थिति दर्ज कराती रही और नीतियों को प्रभावित करती रही भारतीय राजनीति के इस महामंथन में पिछड़े और दलितों का संघर्ष प्रभावी रहा आधुनिक दशक के वर्षों में राजनीतिक का पल्ला दलितों और महादलित बिहार के संदर्भ में पक्ष में झुकता दिखाई दे रहा है सरकार के नीतियों के सभी प्रदेशों में दलित नया की पहचान सब के केंद्र बिंदु का विषय बन गया है।
10.Q समाजिक अंतर कब और कैसे सामाजिक विभाजन ओं का रूप ले लेते हैं
उत्तर ⇒ सामाजिक विभाजन तब होता है जब कुछ समाजिक अंतर दूसरी अनेक विभिन्न अदाओं से ऊपर और बड़े हो जाते हैं स्वर्ण और दलितों का अंतर एक सामाजिक विभाजन है क्योंकि दलित संपूर्ण देश में आमतौर पर गरीब वंचित एवं बेघर है और भेदभाव का शिकार हैं जबकि स्वर्ण आमतौर पर संपन्न एवं सुविधा युक्त है अर्थात दलितों को महसूस होने लगता है कि वह दूसरे समुदाय के हैं अतः हम कह सकते हैं कि जब एक तरह का समाजिक अंतर अन्य वस्त्रों से ज्यादा महत्वपूर्ण बन जाता है और लोगों को यह महसूस होने लगता है कि वह दूसरे समुदाय के हैं तो इससे समाज विभाग जन की स्थिति पैदा होती है
11.Q हर सामाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप नहीं लेती कैसे।
उत्तर ⇒ यह कोई आवश्यक नहीं है कि सभी सामाजिक विभिनता सामाजिक विभाजन का आधार होता है संभवत दो विभिन्न समुदायों के विचार भिन्न हो सकते हैं परंतु एक समान होगा उदाहरण मुंबई में मराठों के हिंसा का शिकार व्यक्तियों की जतिया भिन्न थी धर्म भिन्न होंगे लिंग भिन्न हो सकता है परंतु उनका क्षेत्र एक ही था वह सभी एक ही क्षेत्र उत्तर भारतीय थे उनका हित समान था और वह सभी अपने व्यवस्था और पेसे में संलग्न थे इस कारण हम कह सकते हैं कि हर सामाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप नहीं हो सकते।
12.Q नारी सशक्तिकरण से आपका क्या अभिप्राय है
उत्तर ⇒ नारी सशक्तिकरण का तात्पर्य यह है कि महिलाओं को उन को प्रभावित करने वाले आर्थिक सामाजिक राजनीतिक व पारिवारिक मामलों में नीति निर्माण प्रक्रिया में भागीदारी प्रदान की जाए वर्तमान युग में नारी सशक्तिकरण की धारणा को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन प्राप्त हो रहा है भारत सरकार ने वर्ष 2000 में नारी शक्ति करण की नई नीति की घोषणा की है पंचायतों व नगर पालिकाओं में महिला आरक्षण नारी सशक्तिकरण का उदाहरण है
13.Q सामाजिक विविधता राष्ट्र के लिए कब घातक बन जाती है
उत्तर ⇒ सामाजिक विविधता वैसे तो समाज के विकास का लक्षण है लेकिन जब या विविधता लोगों में तनाव संघर्ष व अलगाववाद को जन्म देती है यह राष्ट्र के लिए घातक बन जाती है भारत में जाति धर्म संस्कृति भाषा यादें की विविधता ए पाई जाती है लेकिन निहित स्वार्थों तक सहनशीलता के अभाव में यह विविधता ए सामाजिक तनाव का कारण बन जाती है जो कि राष्ट्रीय एकता के लिए घातक है।
14.Q रंगभेद क्या है
उत्तर ⇒ रंगभेद का तात्पर्य चमड़ी के रंग के आधार पर लोगों में भेदभाव करना है दक्षिण अफ्रीका में गोरे लोगों की सरकार ने बहुसंख्यक काले लोगों के प्रति विभिन्न प्रकार के भेदभाव की नीति अपनाई थी इसे रंगभेद नीति के नाम से जानते हैं
15.Q संघात्मक शासन व्यवस्था में लिखित संविधान क्यों आवश्यक है
उत्तर ⇒ संघात्मक शासन व्यवस्था में लिखित संविधान आवश्यक है क्योंकि इस शासन व्यवस्था में प्रांतों व केंद्र सरकार के मध्य शक्तियों का बंटवारा किया जाता है शक्तियों का बंटवारा संविधान द्वारा ही किया जाता है यदि संविधान लिखित नहीं होगा तथा शक्तियों का बंटवारा स्पष्ट तथा सुनिश्चित नहीं होगा तो केंद्र व प्रांतों के मध्य अधिक विवाद उत्पन्न होंगे
16.Q भावी समाज में लोकतंत्र की जिम्मेवारी और उद्देश्य पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें
उत्तर ⇒ टकराव एवं सामान्य लोकतंत्र की सीढियां है जिसे से गुजर कर ही लोकसत्ता अपनी नीतियां निर्धारित करती है यह नीतियां आसानी से निर्धारित नहीं हो पाते बल्कि प्रतिद्वंदिता के कठिन परिवेश से गुजरते हुए सामान्य कल माहौल बनाने का प्रयास करता है पुनः परिस्थिति के परिणाम स्वरुप सभी संघर्ष गुट अतंतः इसे स्वीकार कर ही लेते हैं और नीतियां निर्धारित हो ही जाती है पिछड़ों के लिए सरकारी नौकरियों एवं शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की मुहिम कई वर्ष पहले शुरू हुई
लोकतंत्र में सामाजिक विभाजन की राजनीति को अभिव्यक्ति एक सामान्य बात है और यह एक स्वच्छ राजनीति का लक्षण भी है राजनीति में विभिन्न तरह से सामाजिक विभाजन ओं की अभिव्यक्ति ऐसे विभाग जनों के बीच संतुलन पैदा करने का भी काम करती है परिणाम अता कोई भी सामाजिक विभाजन एक हद से ज्यादा उम्र नहीं हो पाता और यह प्रवृत्ति लोकतंत्र को मजबूत करने में सहायक भी होता है लोकतंत्र में लोग संवैधानिक तरीके से अपनी मांगों को उठाते हैं और चुनावों के माध्यम से उनके लिए दबाव बनाते हैं उनका समाधान पाने का प्रयास करते हैं
Class 10 Civics ka Subjective Question Matric Pariksha
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17.Q सामाजिक विभाजन की राजनीति का परिणाम किन किन चीजों पर निर्भर करता है
उत्तर ⇒ सामाजिक विभाजन की राजनीति का परिणाम किन चीजों पर निर्भर करता है
पहला – लोग अपनी पहचान सुबह स्व अस्तित्व तक ही सीमित रखना चाहते हैं क्योंकि प्रत्येक मनुष्य में राष्ट्रीय चेतना के अलावा उप राष्ट्रीय और स्थानीय चेतना भी होते हैं दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि अगर लोग अपने बहु स्तरीय पहचान को राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा मानते हैं तो कोई समस्या नहीं हो सकती उदाहरण स्वरूप बेल्जियम के अधिकतर लोग खुद को बेल्जियई ही मानते हैं भले ही हुए डच और जर्मन बोलते हैं हमारे देश में भी ज्यादातर लोग अपनी पहचान को लेकर ऐसा ही नजरिया रखते हैं भारत विविधताओं का देश है फिर भी सभी नागरिक सर्वप्रथम अपने को भारतीय मानते हैं
दूसरा – महत्वपूर्ण तत्व है कि किसी समुदाय या क्षेत्र विशेष की मांगों को राजनीतिक दल कैसे उठा रहे हैं संविधान के दायरे में आने वाली और दूसरे समुदाय को नुकसान ना पहुंचाने वाली मांगों को मान लेना आसान है
तीसरा – सामाजिक विभाजन की राजनीति का परिणाम सरकार के रूप पर भी निर्भर करता है यह भी महत्वपूर्ण है कि सरकार इन मांगों पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करती है अगर भारत में पिछड़ों एवं दलितों के प्रति न्याय की मांग को सरकार शुरू से ही खारिज करती रहती तो आज भारत बिखराव के कगार पर होता लेकिन सरकार इनके सामाजिक न्याय को उचित मानते हुए सत्ता में साझेदार बनाया और इनको देश की मुख्यधारा से जोड़ने का ईमानदारी से प्रयास किया फलता छोटे-मोटे संघर्ष के बावजूद भी भारतीय समाज में समरसता और सामान्जय स्थापित है।
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