Ek Vriksh Ki Hatya Subjective

Ek Vriksh Ki Hatya Subjective Question | कक्षा 10वीं हिंदी ‘एक वृक्ष की हत्या’ सब्जेक्टिव प्रश्न

Class 10th Hindi

Ek Vriksh Ki Hatya Subjective Question Class 10th:- दोस्तों यहां पर Bihar Board Matric Exam 2022 के लिए हिंदी विषय का प्रश्नावली Ek Vriksh Ki Hatya Subjective VVI Question दिया गया है जो मैट्रिक परीक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण है | एक वृक्ष की हत्या सब्जेक्टिव क्वेश्चन कक्षा 10 वी | Bharat Mata Subjective Question Class 10th Hindi


कक्षा 10वीं हिंदी ‘एक वृक्ष की हत्या’ सब्जेक्टिव प्रश्न

1. कुँवर नारायण कैसे कवि हैं?

उत्तर – कुँवर नारायण मनुष्यता और सजीवता के पक्ष में संभावनाओं के द्वार खोलने वाले कवि हैं।

2. ‘एक वृक्ष की हत्या’ कविता का वर्ण्य-विषय क्या है?

उत्तर—‘एक वृक्ष की हत्या’ का वर्ण्य विषय है नाना प्रकार के प्रदूषण और छीजते मानव-मूल्य।

3. कविता का समापन करते हुए कवि अपने किन-किन अंदेशों का जिक्र करता है और क्यों?

उत्तर – ‘एक वृक्ष की हत्या’ शीर्षक के समापन के समय कवि को अंदेशा है। कवि को अपने घर, शहर और देश की आशंका है। नदियों की चिन्ता है जो नालों में दबल रही है। वायुमंडल की चिन्ता है जो कार्बन उत्सर्जन कर रहे हैं। खाद्य पदार्थ जो जहर बन गए हैं की चिन्ता है। अर्थात् पूरे भारत पर लुटेरों का हमला हो गया है। सम्य मानव इतना असम्य हो गया है कि उसका उल्टा असर मनुष्य पर ही पड़ेगा।

4. वृक्ष और कवि में क्या संवाद होता है?

उत्तर– कवि बुद्धिजीवी है। वह जानता है कि बूढ़ा चौकीदार विश्वासी होता है। उसका अनुभव हमेशा हितकर होता है। चौकीदार के रूप में वह वृक्ष भी बुढ़ा है लेकिन उसके बलबूते में कोई कमी नहीं आयी है। वह सजग है। दूर से आते कवि को देखकर ललकारता है कि तुम कौन हो और ‘दोस्त’ के रूप में मीठे स्वर को सुन झुक जाता है। संवादशैली की यह कविता मनुष्य और वृक्ष के संबंध का युग-युगान्तर का बताता है।

10th Class Hindi Ek Vriksh Ki Hatya Subjective Question

5. कवि को वृक्ष बूढ़ा चौकीदार क्यों लगता था?

उत्तर – मजबूत कद-काठी का चौकीदार हर वक्त दरवाजे पर, पगड़ी बाँधे, फटा-पुराना जूता, अपनी पुरानी खाकी वर्दी पहने और अपने कंधे पर राइफल लिए, चौकस खड़ा रहता और हर आनेवाले से उसकी पहचान पूछता है।

कवि के दरवाजे पर भी एक बहुत पुराना वृक्ष था। मजबूत और फैला तना था उसका, जिसकी तने के ऊपर पत्तियाँ फैली थीं, जैसे कोई मुरैठा बाँधे हो, जड़ कुछ फैली थीं जैसे जूते पहनने से पैर कुछ लम्बा-चौड़ा नजर आता है। तने के ऊपर एक लम्बी डाल थी, जैसे कोई राइफल कंधे पर लिए हो। उसके नीचे से गुजर कर घर के भीतर जाना एक जाँच की तरह था। उसकी छाया भी आरामदायक थी, जैसे किसी बूढ़े आदमी से बात कर सुकून मिलता है, वैसा ही था उसके नीचे बैठना। इन्हीं समानताओं के कारण कवि को वृक्ष बूढ़ा चौकीदार लगता था।

6. कवि घर, शहर और देश के बाद किन चीजों को बचाने की बात करता है और क्यों?

उत्तर- घर, शहर और देश की चिंता तक ही कवि सीमित नहीं रहता। उसकी चिंता क्षितिज के इस छोर से उस छोर तक विस्तृत हो जाती है। सारा संसार उसका अपना संसार हो जाता है। वह इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि इस घर, शहर और देश को बचाने से काम चलने वाला नहीं देखना होगा कि नदियाँ नाला न बन जाएँ, हवा धुआँ न बन जाए अर्थात् विकास की दौड़ में बन रहे कारखानों के धुओं से हवा दूषित न हो जाए एवं खाद्यान्न उत्पादन की वृद्धि के चक्कर में खाद्यान्न ही जहर न बन जाए। इसलिए सबसे पहले बचाना है जंगल को, ऐसा न हो कि जंगल कट जाएँ, रेगिस्तान बन जाए जंगल की धरती। जंगल के कटने का अर्थ है प्रदूषण और प्रदूषण का अर्थ है जीवन पर संकट। अंत में कवि इस नतीजे पर आता है कि लूट-पाट, दंगा-फसाद, नाना प्रकार के प्रदूषणों के मूल में है, मनुष्य की आरामपसंद जिन्दगी और ऐश-मौज की अदम्य लालसा। यह लालसा उसे जंगली बना रही है। इसे रोकने से ही मानव सभ्यता और संस्कृति बचेगी।

7. ‘एक वृक्ष की हत्या’ कविता का भावार्थ एवं संदेश लिखें। अथवा, ‘एक वृक्ष की हत्या’ कविता विश्व की किस समस्या को उजागर करती है?

उत्तर— ‘एक वृक्ष की हत्या’ कविता में कवि कुँवर नारायण ने एक वृक्ष के काटे जाने से उत्पन्न परिस्थिति, पर्यावरण संरक्षा और मानव सभ्यता के विनाश की आशंका से उत्पन्न व्यथा का उल्लेख किया है।

कवि वृक्ष की कथा से शुरू होकर, घर, शहर, देश और अंततः मानव के समक्ष उत्पन्न संकट तक आता है। वह कहता है कि इस बार जो वह घर लौटा तो दरवाजे पर हमेशा चौकीदार की तरह तैनात रहनेवाला वृक्ष नहीं था। वृक्ष चौकीदार जैसा सख्त और मटमैला रंग था, उसकी डालें राइफल की तरह लम्बी एवं पत्तियाँ पगड़ी जैसी फैली थीं। उसकी शाखाएँ, हवा बहने पर हरहराती थीं मानो आनेवाले से पूछता हो-कौन? और फिर शान्त हो जाता था। अच्छा लगता था।

लेकिन जिसका डर था वही हुआ। पेड़ कट गया। यही सिलसिला रहा तो और भी बहुत कुछ होगा। घर को बचाना होगा लुटेरों से, शहर को बचाना होगा हत्यारों से, देश को बचाना होगा देश के दुश्मनों से। इतना ही नहीं, खतरे और भी हैं। नदियों को नाला बनने से, जंगलों को कटने से रोकना होगा और जमीन में रासायनिक उर्वरकों को डालने से रोकना होगा ताकि अनाज जहर न बनें। दरअसल, जंगल को रेगिस्तान नहीं बनने देना होगा। मनुष्य की सोच में जो खोट पैदा हो गई है, जिससे ये समस्याएँ पैदा हुई हैं, उस खोट को निकालना होगा। मनुष्य को जंगली बनने से रोकना होगा, उसे सही अर्थों में मनुष्य बनाना होगा, तभी मानवता बचेगी।

आज मनुष्य ने प्रगति का आसमान छू लिया है लेकिन भौतिक सुख-समृद्धि के उच्च शिखर पर बैठा मनुष्य लालसाओं की अनन्त खाड़ी में दिनोंदिन धंसने वह क्या बचा पाएगा अपने अस्तित्व को? इसी स्थिति से उबरने की व्याकुल कसमकश को उकेरती कुँवर नारायण की यह कविता अत्यंत प्रासंगिक है।

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8. अर्थ या भावार्थ स्पष्ट करें बचाना है

नदियों को नाला हो जाने से

हवा को धुआँ हो जाने से

खाने को जहर हो जाने से

उत्तर – कवि कुँवर नारायण ने एक ‘एक वृक्ष की हत्या’ कविता के माध्यम से संदेश दिया है कि मनुष्य स्वार्थ के कारण असभ्य होता जा रहा है। घर, शहर और देश को बचाने के पहले प्रदूषण के कारण ऐसा न हो कि नदियाँ नाला हो जाय, हवा धुँआ हो जाय और भोजन विष हो जाय इसे रोकने से ही मानव सभ्यता और संस्कृति बचेगी। अतः जंगलों को बचाना होगा। 5. दूर से ही ललकारता, “कौन?” मैं जवाब देता, “दोस्त!”सप्रसंग व्याख्या कीजिए। उत्तर प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘गोधूलि’ भाग-2 में संकलित,

आधुनिक कवि कुँवर नारायण की कविता, ‘एक वृक्ष की हत्या’ से उद्धृत हैं। कवि को अपने दरवाजे पर चौकीदार की भाँति खड़े पुराने वृक्ष की याद आती है, जिसके नजदीक जाने पर उसके पत्तों की सरसराहट से कवि को लगता था कि पूछता है- कौन? और जब वह प्रेमभाव से उसके पास जाता अर्थात् ‘दोस्त’ कहता तो वह प्रसन्न हो जाता। तात्पर्य यह कि वृक्षों को अपना मित्र बनाने या वृक्षों से प्रेम करने में ही मानव-मात्र की प्रसन्नता या खुशी है। दूसरे शब्दों में वृक्षों की संरक्षा में ही मनुष्य का अस्तित्व सुरक्षित है।

9. इनकार करना न भूलने वाले कौन है? कवि का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर– इनकार करनेवाले दो प्रकार के होते हैं। एक वे होते हैं जो सत्य कथन से इनकार करते हैं, सद्कर्म से इनकार करते हैं, संघर्ष से इनकार करते हैं। दूसरे वे लोग होते हैं जो झूठ बोलने से इनकार करते है, भ्रष्टाचार से इनकार करते हैं दूसरों पर अत्याचार और धार्मिक आडंबर, अंधविश्वास से इनकार करते हैं। वे सिर्फ इनकार ही नहीं करते, वे दुष्कर्मों में संलिप्त लोगों का पुरजोर विरोध करते, उनके खिलाफ लड़ते और अत्याचारों के विरोध में अपने प्राणों की बाजी लगा देते हैं। कवि कहता है कि ऐसे लोग हो चुके हैं और आज भी यह सिलसिला समाप्त नहीं हुआ है। ऐसे लोग आज भी हैं जो बड़ी दृढ़ता से अत्याचार करने और अत्याचार सहने से इनकार कर देते हैं। दरअसल, कवि यह बताना चाहता है कि अनुचित के आगे झुकना श्रेयस्कर नहीं है। मनुष्यता की पहचान है— संघर्ष, अन्याय का प्रतिकार।

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10. दरअसल शुरू से ही था हमारे अन्देशों कहीं एक दुश्मन जानी कि घर को बचाना है लुटेरों से शहर को बचाना है नादिरों से देश को बचाना है देश के दुश्मनों से

उपर्युक्त पद्यांश के आधार पर व्याख्या करें कि कवि घर, शहर और देश को किन-किन से बचाने के लिए चिंतित है? कवि को ऐसा क्यों लगता है कि घर, शहर और देश लुटने को है?

उत्तर- कवि घर को लुटेरों से, शहर को नादिरशाह जैसे विदेशी नर-संहारकों और देश के दुश्मनों से बचाने के लिए चिन्तित है। कवि अनुभव करता है कि आज लोगों की लालसा बढ़ गई है, आकांक्षाएँ आकाश छू रही हैं, ऐसी स्थिति है कि लोग दूसरे का घर लूटने को तैयार हैं, कारण है गरीबी और कुछ लोगों का निःशंक होना। शहर की भी आज यही दशा है। कब रक्तपात होगा, कहाँ होगा, कहना मुश्किल है और हालात यह है कि ये खूनी पकड़े भी नहीं जाते। देश भी अछूता नहीं है। आज दुश्मन बाहर से लोलुप दृष्टि लगाए हुए हैं, उनकी मदद करनेवाले अपने देश में ही छिपे बैठे हैं।

11. धूप में बारिश में में

  • गर्मी में सर्दी में हमेशा चौकन्ना
  • अपनी खाकी वर्दी में
  • दूर से ही ललकारता, कौन?
  • मैं जवाब देता, “दोस्त”।

पद्यांश का भाव अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर – यह पद्यांश “एक वृक्ष की हत्या” पाठ से अवतरित है। इस पाठ के लेखक “कुँवर नारायण ” हैं। पद्यांश का भाव यह है कि वृक्ष मानव को सुख-शांति फल-छाया और जीवन देने के लिए सदैव तत्पर रहता है। वह एक मित्र की तरह है जो समय से सेवा में खड़ा रहता है। अपने सुख-दुःख का ख्याल किए बिना।

12. ‘एक वृक्ष की हत्या’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए। अथवा, ‘एक वृक्ष की हत्या की प्रासंगिकता पर विचार करते हुए टिप्पणी लिखें।

उत्तर – किसी रचना के शीर्षक के संबंध में विधान यह है कि यह अत्यन्त आकर्षक, संक्षिप्त होने के साथ रचना के मूल भाव को व्यक्त करने वाला होना चाहिए। इस कसौटी पर परखने से ज्ञात होता है कि एक वृक्ष की हत्या’ मूल भाव को व्यक्त करता है क्योंकि इसमें एक वृक्ष की कटाई और इससे उत्पन्न स्थितियों की चर्चा है। आकर्षक भी है क्योंकि पढ़कर मन ●उत्सुकता तो उत्पन्न होती ही है कि वृक्ष की हत्या का माजरा क्या है? में रही बात संक्षिप्तता की, तो शीर्षक निश्चित ही बहुत संक्षिप्त नहीं है किन्तु इससे संक्षिप्त उत्तर होना मुश्किल है। अगर केवल ‘वृक्ष की हत्या’ रखा जाता, तब भी बात अधूरी रह जाती। ‘एक’ के बिना पूरा अर्थ ही स्पष्ट नहीं होता। अतएव, ‘एक वृक्ष की हत्या’ शीर्षक सार्थक है।

13. बचाना है-जंगल को मरुस्थल हो जाने से, बचाना है मनुष्य को जंगल हो जाने से। प्रस्तुत अवतरण का भाव स्पष्ट करते हुए कवि की अन्तर्व्यथा उल्लेख कीजिए।

उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में कवि कुँवर नारायण की कविता ‘एक वृक्ष की हत्या’ से उद्धृत है।

प्रस्तुत पंक्तियों में दिनोंदिन बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण और सभ्यता एवं छीजते मानव-मूल्यों से उत्पन्न कवि की अन्तर्व्यथा व्यक्त है। कवि कहता है कि व्यवसायीकरण के कारण बड़े पैमाने पर अंधाधुंध वृक्ष काटे जा रहे हैं, वन रेगिस्तान में बदलते जा रहें हैं। फलस्वरूप मौसम में बदलाव आ रहा है, वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जा रही है, मनुष्य रुग्ण रहने लगा है। यह अत्यन्त दुखद है, अतः जंगल को मरुस्थल होने से बचाना कवि की प्राथमिकता है। वह चाहता है कि यह सिलसिला रुके। किन्तु कवि कुँवर नारायण जंगल तक नहीं रुकते। वे और आगे बढ़ते हैं। वे सोचते हैं कि जंगल क्यों कट रहे हैं? उन्हें लगता है कि यह सब इसलिए हो रहा है कि मनुष्य अपनी हद से आगे निकल रहा है, लोलुप्ती ने उसे अंधा बना दिया है, वह थोड़े-से धन और सुख-सुविधा के लिए मानवता को भूल गया है। वह मानव-मूल्यों की तिलांजलि दे रहा है। अगर मनुष्य को बचाना है, संसार की सभ्यता और संस्कृति को बचाना है तो मानव के मन से जंगल को निकालना होगा, लालसाओं पर रोक लगानी होगी। वस्तुतः ये पंक्तियाँ कवि के सौम्य, संवेदनमय विराट् रूप की बानगी पेश करती हैं।

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