Hiroshima Subjective Question 10th

Hiroshima Subjective Question 10th Class Hindi | ‘हिरोशिमा सब्जेक्टिव प्रश्न कक्षा 10वीं हिंदी

Class 10th Hindi

Hiroshima Subjective Question 10th Class:- दोस्तों यहां पर Bihar Board Matric Exam 2022 के लिए हिंदी विषय का प्रश्नावली Hiroshima Ka Subjective Question दिया गया है जो मैट्रिक परीक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण है | हिरोशिमा सब्जेक्टिव क्वेश्चन कक्षा 10 वी | Bharat Mata Subjective Question Class 10th Hindi


Bihar Board 10th Class Hindi Hiroshima Subjective Question

1. हिन्दी-काव्य में ‘अज्ञेय’ ने क्या किया?

उत्तर – हिन्दी-काव्य में ‘अज्ञेय’ ने छायावाद की धारा को प्रगतिवाद में समाहित किया और प्रयोगवाद की शुरुआत की।

2. ‘काल-सूर्य’ का अर्थ क्या है?

उत्तर – काल-सूर्य का अर्थ है मृत्यु का सूरज

3. ‘हिरोशिमा’ कविता किस छंद में लिखी गई है?

उत्तर – ‘हिरोशिमा’ कविता मुक्त छंद में लिखी गई है।

4. ‘तार-सप्तक’ क्या है?

उत्तर—’तार-सप्तक’ सात प्रयोगधर्मा कवियों के काव्यों का संकलन है।

5. छायाएँ दिशाहीन सब ओर क्यों पड़ती हैं? स्पष्ट करें। 

उत्तर- इस प्रसंग में कहा गया है कि अणुबम का प्रहार जापान के हिरोशिमा शहर पर किया गया था। वह विनाशक था जिसमें से सभी तरफ जलने से रौशनी निकल रही थी। मानव के दिशाहीन मानवता का नाश कर स्वयं भी शर्मशार होता है। अतः उसकी छायाएँ भी दिशाहीन ही होती हैं।

6. हिरोशिमा में मनुष्य की साखी के रूप में क्या है?

उत्तर – ‘हिरोशिमा’ में मानव-निर्मित अणुबम के चलते भीषण नर-संहार हुआ। बहुत-से लोग तो वाष्प बन गए। उनका अता-पता ही नहीं चला। हाँ, जो लोग नहीं रहे, उत्ताप में स्वाहा हो गए, उनमें से कुछ की छायाएँ झुलसे पत्थरों, दीवारों और सड़कों पर उनकी साखी के रूप में या कहिए कि मनुष्य की संहारक प्रवृत्ति की साखी के रूप में मौजूद हैं।

7. ‘हिरोशिमा’ कविता से हमें क्या सीख मिलती है?A

उत्तर- प्रस्तुत कविता में मानव का रचा हुआ सूरज और कुछ नहीं अणुबम है। यह जानते हुए कि इसके विस्फोट से भयंकर संहार होगा, मनुष्य ने यह कार्य किया, यही त्रासदी है। मानव का बनाया हुआ सूरज ही मानव को वाष्प बनाकर चट कर गया, सोख गया। इस प्रकार विश्व राजनीति में आयुधों की होड़ से जो संकट गहरा रहा है, वह दुखद है।

‘हिरोशिमा सब्जेक्टिव प्रश्न कक्षा 10वीं हिंदी


8. एक दिन सहसा, सूरज निकला अरे क्षितिज पर नहीं, नगर के चौक; धूप बरसी, पर अन्तरिक्ष से नहीं; फटी मिट्टी से। निम्न पंक्तियों का अर्थ लिखें।

उत्तर– कविता—हिरोशिमा। कवि सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’। एक दिन अचानक ही सूरज निकल आया। लेकिन अन्तरिक्ष में नहीं, यह , मध्य आकाश में, नगर के चौक के ऊपर और फिर चारों ओर प्रचण्ड धूप का ताप फैला, धरती फट गई। तात्पर्य यह कि आसमान में अचानक एक वायुयान आ पहुँचा और उसने जो अणुबम नगर के चौक पर गिराया उससे आकाश में तीव्रतम प्रकाश हुआ और प्रचण्ड उत्ताप उत्पन्न हुआ, धरती विदीर्ण हो गई।

9. मानव का रचा हुआ सूरज, मानव को भाप बना कर सोख गया। सप्रसंग व्याख्या कीजिए।

उत्तर- प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘गोधूलि’, भाग-2 में संकलित सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ की कविता ‘हिरोशिमा’ से उद्धृत है। कवि मानव-रचित अणुबम से हुए क्रूरतम नर-संहार का मर्मभेदी चित्रण करते हुए कहता है कि मनुष्य ने अणुबम के रूप में ऐसे सूरज की रचना की जिसने अपने उत्ताप से मानव को ही भाप बनाकर सोख लिया अर्थात् उक्त अणुबम का ऐसा प्रभाव हुआ कि लोग झुलसे या मरे ही नहीं, वाष्प की तरह अन्तरिक्ष में विलीन हो गए।

अणुबम में सूरज का आरोप नयी उद्भावना है। भाव और भाषा दोनों ही दृष्टियों से कवि अपना कथ्य स्पष्ट करने में सफल है।

VVI Subjective Question 2022 Class 10th Hindi

10. काल-सूर्य के रथ के टूट कर पहियों के ज्यों अरे बिखर गए हों दसों दिशा में—सप्रसंग व्याख्या कीजिए।

उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘गोधूलि’ भाग-2 में सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ की चर्चित कविता ‘हिरोशिमा’ से उद्धृत हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में कवि बतलाता है कि इस विस्फोट के फलस्वरूप चारों ओर लाशें ही लाशें बिछ गईं, जैसे मृत्यु देवता के रथ के पहिए की धुरी टूट गई हो। मृत्यु देवता के रथ के पहिए की धुरी टूटने का अर्थ है-चारों ओर मौत का आलम होना।

11. आज के युग में ‘हिरोशिमा’ कविता की प्रासंगिकता को स्पष्ट कीजिए। या, ‘हिरोशिमा’ का सारांश लिखते हुए इसकी प्रासंगिता स्पष्ट करें।

उत्तर– आज संसार में आपा-धापी मची कुछ मुल्क आयुधों के निर्माण में जी-जान से संलग्न हैं और जिनके पास इसकी तकनीकि जानकारी नहीं है, वे जानकारी के लिए आकाश-पाताल एक किए हुए हैं, यद्यपि सभी इन आयुधों के उपयोग से होने वाले विनाश से परिचित हैं। सभी को पता है कि अणु-युद्ध से अपार हानि होगी। करोड़ों लोग वाष्प की तरह व्योम में विलीन हो जाएँगे, करोंड़ों अपंग-अपाहिज होकर जीने को मजबूर हो जाएँगे। वातावरण इतना विषाक्त हो जाएगा कि हर श्वास के साथ मौत करीब होती जाएगी, धरती बंजर हो जाएगी, पर्वत धूल-धूसरित हो जाएँगे और सुनामी अनेक नगर एवं देशों को निगल जाएगी।

ऐसी स्थिति में जागरूक कवि ‘अज्ञेय’ ने अपनी ‘हिरोशिमा’ कविता में विगत शताब्दी में जापान के शहर ‘हिरोशिमा’ में अमेरिका द्वारा प्रयुक्त अणुबम की त्रासदी का चित्रण करते हुए दिखाया है कि एक अणु बम के विस्फोट से कैसे लोग देखते-ही-देखते काल के गाल में समा गए। कैसे उस घटना के साक्षी के रूप में लोगों की छायाएँ आज भी झुलसे पत्थरों, दीवारों और सड़कों की गचों पर मौजूद हैं।

हुए कवि ने साहित्य समाजपरक होता है। इसी धर्म का निर्वाह करते विनाश का वर्णन कर लोगों को चेतावनी दी है कि इस ध्वंसात्मक होड़ को बन्द करें नहीं तो मानवता लुप्त हो जाएगी। इस प्रकार, यह कविता अत्यंत प्रासंगिक है।

Hiroshima Subjective Question 10th