कक्षा 10वीं काव्य खंड हिंदी ( Chapter 2 Subjective Question Answer )

कक्षा 10वीं काव्य खंड हिंदी :- प्रेम अयनि श्री राधिका | करील के कुंजन उपर वारौ | रसखान का के दोहा से संबंधित महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्न दिया गया है जो मैट्रिक परीक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण है | class 10th Hindi ka subjective question raskhan ke Doha


class 10th Hindi ka subjective question raskhan ke Doha

1.Q कवि ने स्वयं को बेमन का क्यों कहा

उत्तर कवि रसखान का मनमोहन की छवि में डूब गया है उस नंद के चहेते हुए रसखान के मन का मनी यानी चित्र लिया है इसीलिए कभी अब बिना मन का या नहीं बेमन हो गया है

2.Q रसखान रचित सवैये का भावार्थ अपने शब्दों में लिखें

उत्तर रसखान रचित सवैये में ब्रज भूमि के प्रति उनका हार्दिक प्रेम प्रकट होता है सवैये में उन्होंने कहा है कि ब्रजभूमि की एक एक वस्तु स्थान सरोवर कांचीली झाड़ियां सुखदायक है क्योंकि यहां ब्रह्मा के अवतार श्रीकृष्ण अवतरित हुए।

3.Q कवी ने माली मालिन किन्हें और क्यों कहा है।

उत्तर कवि ने माली मालिन कृष्ण और राधा को कहा है क्योंकि कभी राधा कृष्ण के प्रेम में युगल को प्रेम भरे नेत्र से देखा है यह प्रेम को वाटिका मानते हैं और इस प्रेम वाटिका के माली मालिन कृष्ण राधा को मानते हैं।

4.Q कृष्ण को चोर क्यों कहा गया है कभी का अभिप्राय स्पष्ट करें

उत्तर कभी कृष्ण और राधा के प्रेम में मनमुग्ध हो गए हैं उनकी मनमोहक छवि को देख कर मन पूर्णता उस युगल में रम जाता है इसीलिए इन्हें लगता है कि इस देश से मन रूपी मानी को कृष्ण ने चुरा लिया है

5.Q राजस्थान के द्वितीय दोहे का काव्य सौंदर्य स्पष्ट करें

उत्तर प्रस्तुत दोहे में सवैये छंद में भाव के अनुसार भाषा का प्रयोग अत्यंत है संपूर्ण छंद में ब्रज भाषा की सरलता सहजता और महकता देखी जा सकती है कहीं-कहीं तद्भव और तत्सम के सामासिक रूप भी मिल रहे हैं।

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Hindi 10th Class Chapter 2 कक्षा 10वीं काव्य खंड हिंदी

6.Q राम नाम बिनु अरुझि मरै की व्याख्या करें।

उत्तर प्रस्तुत पद्यांश हमारे पाठ्य पुस्तक हिंदी साहित्य के महान संत कवि गुरु नानक के द्वारा लिखित राम नाम लीनो निर्गुण जगि जनमा सिरसा के उदित है। गुरु नानक के निर्गुण निराकार ईश्वर के उपासक तथा हिंदी की निर्गुण भक्ति धारा के प्रमुख कवि हैं यहां राम नाम की महत्ता पर प्रकाश डालते हैं

प्रस्तुत दिव्य की पंक्ति में निर्गुण वादी विचार धारा के कवि गुरु नानक राम नाम की गरिमा मानवीय जीवन में कितनी है इसका उजागर बस सच्चे हृदय से किए हैं कभी कहते हैं कि राम नाम का अध्ययन संध्या वंदन क्रिस्टियन रंगीन वस्त्र धारण यहां तक कि जटा जूट बढ़ाकर इधर-उधर घूमना यह सभी भक्ति भाव के ब्राह्मडम्बर है। इससे जीवन सार्थक कभी भी नहीं हो सकता है राम नाम की सत्ता को स्वीकार नहीं करते हैं तब तक मानवीय मूल्य चेतना उजागर नहीं हो सकता है राम नाम के बिना बहुत से सांसारिक कार्यों में उलझ कर व्यक्ति जीवन लीला समाप्त कर लेता है

7.Q हरष शोक ते रहै नियारो नाही मान अपमान की व्याख्या करें

उत्तर प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी साहित्य के संत कवि गुरु नानक द्वारा रचित जो नर दुख में दुख नहीं माने शीर्षक से है। प्रस्तुत पंक्ति में संत गुरु नानक उपदेश देते हैं कि ब्रह्म के उपासक प्राणी को हर्ष शोक सुख-दुख निंदा प्रशंसा मानअपमान से परे होना चाहिए इन सब से पृथक रहने वाले प्राणियों में ब्रह्म का निवास होता है

प्रस्तुत पंक्ति में कभी कहते हैं ब्राह्मण निर्गुण एवं निराकार है वैराग्य भाव रखकर ही हम उसे पा सकते हैं झूठी मान बड़ाई या निंदा शिकायत की उलझन मनुष्य को ब्रह्मा से दूर ले जाता है ब्रह्मा को पाने के लिए सच्ची मुक्ति के लिए हर्ष अशोक मान अपमान से दूर रहकर उदासीन रहते हुए ब्रह्मा की उपासना करना चाहिए।

8.Q नानक लीन भयो गोविंद सो ज्ओ पानी चल पानी की व्याख्या करें।

उत्तर प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्यपुस्तक के महान संत कवि गुरु नानक के द्वारा रचित जो नर दुख में दुख नहीं मानै पाठ से है इसमें कभी ब्रह्मा की सत्ता की महत्ता को बताते हैं।

प्रस्तुत व्याख्या पंक्ति के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं इस मानवीय जीवन में ब्रह्मा को पाने की शक्ति युक्ति अर्थात उपवास करना आवश्यक है ब्रह्मा को पाना प्राणी का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए जिस प्रकार पानी के साथ पानी मिलकर एक समान हो जाता है उसी प्रकार जीव जब ब्रह्मा के सानिध्य में जाता है तब ब्राह्ममय हो जाता है। जीव आत्मा एवं परमात्मा में जब मिलन होता है तब जीवात्मा भी परमात्मा बन जाता है दोनों का भेद मिट जाता है।


कक्षा 10वीं काव्य खंड हिंदी – Subjective Question Answer