Class 10th Hindi Parampara Ka Mulyankan Subjective

10th Class Hindi Subjective Question Paper | कक्षा 10वीं हिंदी (परंपरा का मूल्यांकन) सब्जेक्टिव

Class 10th Hindi

10th Class Hindi Subjective Question Paper :- यदि आप बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा 2024 की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको Matric Exam Hindi vvi Subjective Prashn का कक्षा 10वीं हिंदी (परंपरा का मूल्यांकन) सब्जेक्टिव दिया गया है जो Class 10th Hindi Subjective Question PDF के लिए काफी महत्वपूर्ण है | BSEB 10th Exam Hindi Question Answer |


1.Q परंपरा का ज्ञान किन के लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है और क्यों

उत्तर जो लोग साहित्य में युग परिवर्तन करना चाहते हैं जो लकीर के फकीर रही है जो रूठ जा तोड़कर क्रांतिकारी साहित्य रचना चाहते हैं उनके लिए परंपरा का ज्ञान सबसे ज्यादा आवश्यक है क्योंकि यह लोग समाज में बुनियादी परिवर्तन करके वर्ग हीन शोषण मुक्त समाज की रचना करना चाहते हैं यह अपने सिद्धांतों को ऐतिहासिक भौतिकवाद के नाम से पुकारते हैं जो महत्व ऐतिहासिक भौतिकवाद के लिए इतिहास का है वही आलोचना के लिए साहित्य की परंपरा का है


2.Q परंपरा के मूल्यांकन में साहित्य के वर्गीय आधार का विवेक लेखक क्यों महत्वपूर्ण मानते हैं

उत्तर परंपरा के मूल्यांकन में साहित्य के वर्गीय आधार का विवेक को लेखक इसलिए महत्वपूर्ण मानते हैं क्योंकि जो साहित्य वर्गों की देखरेख में रचा गया है वह उनके वर्ग ही तो को प्रतिबिंबित करता है जैसे श्रमिक वर्ग का प्रतिबिंब हमें शोषक वर्गों के विरुद्ध मिलता है इससे हमें यह पता चलता है कि यह जनता के लिए कितना उपयोगी है


3.Q साहित्य में विकास प्रक्रिया उसी तरह संपन्न नहीं होती जैसे समाज में लेखक का आशय स्पष्ट कीजिए

उत्तर साहित्य में विकास प्रक्रिया उसी तरह संपन्न नहीं होती जैसे समाज में से लेखक का आशया है कि समाज के विकास क्रम में सामान्य सभ्यता की अपेक्षा पूंजीवादी सभ्यता को अधिक प्रगतिशील कहा जा सकता है परंतु यह साहित्य विकास प्रक्रिया में यह आवश्यक नहीं है कि सामान्य सभ्यता की अपेक्षा पूंजीवादी सभ्यता का साहित्य ज्यादा अच्छा हो क्योंकि यह भी संभव है कि पूंजीवादी सभ्यता के साहित्य की अपेक्षा सामान्य सभ्यता का साहित्य किया अच्छा हो क्योंकि वह लेखक या कवि की मौलिक रचना को हम बाद वाला नकल हो नकल करके लिखा गया साहित्य अधम कोटि का साहित्य हो यह भी संभव है कि पूंजीवादी सभ्यता का साहित्य अच्छा हो क्योंकि हो सकता है कि सामान्य सभ्यता के रचनाकर बिकाऊ हो साहित्य में कुछ भी संभव है


4.Q साहित्य का कौन सा पक्ष है अपेक्षाकृत अस्थाई होता है इस संबंध में लेखक की राय स्पष्ट करें

उत्तर लेखक की राय के साहित्य का भावनात्मक पक्ष अपेक्षाकृत स्थाई होता है आर्थिक जीवन के अलावा मनुष्य एक प्राणी के रूप में भी अपना जीवन बिताता है साहित्य में उनकी बहुत सी आदिम भावनाएं प्रति फलित होती है जो उसे प्राणी मात्रा से जोड़ती है इस बात को बार-बार कहने में कोई हानि नहीं है कि साहित्य विचारधारा मात्र नहीं है उसमें मनुष्य का इंद्रिय बुध उसकी भावनाएं भी व्यंजित होती है।


5.Q लेखक मानव चेतना को आर्थिक संबंधों से प्रभावित मानते हुए भी उस की अपेक्षा स्वाधीनता की दृष्टिन्तो द्वारा प्रमाणित करता है।

उत्तर लेखक मानव चेतना को आर्थिक संबंधों से प्रभावित मानते हुए उसके सापेक्ष स्वाधीनता स्वीकार करता है आर्थिक संबंधों से प्रभावित होना एक बात है उनके द्वारा चेतना का निर्धारित होना और बात है भौतिकवाद का अर्थ भाग्य बाद नहीं है सब कुछ परिस्थितियों द्वारा अनिवार्य निर्धारित नहीं हो जाता यदि मनुष्य परिस्थितियों का नियामक नहीं है तो परिस्थितियां भी मनुष्य का नियामक नहीं है दोनों का संबंध गिव दांत वर्क है यही कारण है कि साहित्य सापेक्ष रूप में स्वाधीन होता है यथा गुलामी अमेरिका में थी और गुलामी एथेन्स में भी थी किंतु एथेन्स किस सभ्यता ने सारे युवक को प्रभावित किया और गुलामों के अमेरिकी मालिकों ने मानव संस्कृत को कुछ भी नहीं दिया।


6.Q साहित्य के निर्माण में प्रतिभा की भूमिका स्वीकार करते हुए लेखक इन खतरों से आगाह करता है

उत्तर साहित्य के निर्माण में प्रतिभा की भूमिका स्वीकार करते हुए लेखक इन खतरों से आगाह करते हैं कि यह आवश्यक नहीं है कि प्रतिभाशाली मनुष्य जो करते हैं वह सब अच्छा भी होता है या उनके श्रेष्ठ कृतित्व में कोई दोष नहीं होता कला का पूर्णता निर्दोष होना भी एक दोस्त है ऐसी कला निर्जीव होती है इसीलिए प्रतिभाशाली मनुष्यों की आदित्य उपलब्धियों के बाद कुछ नया और उल्लेखनीय करने की गुंजाइश बनी रहती है।


7.Q राजनीतिक मूल्यों से साहित्य के मूल अधिक स्थाई कैसे होते हैं

उत्तर राजनीतिक मूल्यों से साहित्य के मूल अधिक स्थाई होते हैं जैसे हम ब्रिटिश साम्राज्य को ले तो वह तो समाप्त हो गया परंतु शेक्सपियर मिल्टन सहेली इत्यादि विश्व की संस्कृति के विकास में जगमगाते ही रहती हैं जहां तक कि इनके प्रकाश में बढ़ोतरी हुई है ना की कमी अर्थात राजनीतिक में बदलाव संभव है लेकिन साहित्यकार जो कुछ हमें दे गए उसमें बदलाव संभव नहीं है वह स्थाई है


8.Q जातीय अस्मिता कल लेखक इस प्रसंग में उल्लेख करता है और उसका क्या महत्व बताता है

उत्तर साहित्य के विकास में प्रतिभाशाली मनुष्य के महत्व के प्रसंग में लेखक ने जातीय अस्मिता का उल्लेख किया है वे कहते हैं कि साहित्य के विकास जन समुदायों और जातियों की विशेष भूमिका होती है जन समुदाय जब एक व्यवस्था से दूसरी व्यवस्था में प्रवेश करते हैं तब उनकी अस्मिता नष्ट नहीं होती बल्कि अपने गुणों को खिलाती है


9.Q जातीय और राष्ट्रीय अस्मिताओं के स्वरूप का अंतर करते हुए लेखक दोनों में क्या समानता बताता है

उत्तर जातीय और राष्ट्रीय अस्मिताओं के स्वरूप में अंतर होते हुए भी जब राष्ट्रपति कोई मुसीबत आती है तब उन्हें अपनी राष्ट्रीय अस्मिता का ज्ञान बहुत अच्छी तरह से हो जाता है जब देश पर कोई खतरा मंडराता है तो पूरा राष्ट्र मिलकर उस से लोहा लेता है जैसे भारत में अनेक जातियां और अनेक भाषाओं के लोग रहते हैं परंतु स्वतंत्रता संग्राम में सब ने मिलकर अंग्रेजों से लोहा लिया था और अपनी एकात्मकथा का पाठ पढ़ा था


10.Q बहुजातीय राष्ट्र की हैसियत से कोई भी देश भारत का मुकाबला क्यों नहीं कर सकता।

उत्तर बहुजातीय राष्ट्र की हैसियत से कोई भी देश भारत का मुकाबला इसलिए नहीं कर सकता क्योंकि किसी भी राष्ट्र के विकास में कवियों की ऐसा निर्णायक भूमिका नहीं रही जैसे इन देश में व्यास और वाल्मीकि की है।


11.Q भारत की बहूजातीयता मुख्यता संस्कृति और इतिहास की देन है कैसे

उत्तर भारत की बहूजातीयता मुख्यता संस्कृति और इतिहास की देन है इस संस्कृति के निर्माण में इस देश के कवियों का सर्वोच्च स्थान है इस देश की संस्कृति से रामायण और महाभारत को अलग कर दे दो भारतीय साहित्य के आंतरिक एकता टूट जाएगी


12.Q किस तरह समाजवाद हमारी राष्ट्रीय आवश्यकता और इस प्रसंग में लेखक के विचारों पर प्रकाश डालें

उत्तर समाजवाद हमारी राष्ट्रीय आवश्यकता है पूंजीवादी व्यवस्था में शक्ति का इतना अपव्यय होता है कि उसका कोई हिसाब नहीं है देश के साधनों का सबसे अच्छा उपभोग समाजवादी व्यवस्था में ही संभव है। इस प्रसंग में लेखक का विचार है कि यदि समाजवादी व्यवस्था कायम होने पर यार सही रूप नवीन राष्ट्र के रूप में पूर्ण गठित हो सकता है तो भारत में समाजवादी व्यवस्था कायम होने पर यहां की राष्ट्रीय अस्मिता कितना पोस्ट होगी इसकी कल्पना की जा सकती है अनेक राष्ट्र जो भारत से पिछड़े हुए थे सामाजिक व्यवस्था के कारण उसके विकास में तेजी आई है भारत की राष्ट्रीय क्षमता का पूर्ण विकास समाजवादी व्यवस्था में ही संभव है।


13.Q निबंध का समापन करते हुए लेखक का कैसा स्वपन देखता है उसके साकार करने में परंपरा की क्या भूमिका हो सकती है विचार करें

उत्तर निबंध का समापन करते हुए लेखक स्वपन देखते हैं कि पूरा राष्ट्र साक्षर हो जाएगा पूरा राष्ट्र संस्कृत की मूल रचना को बिना अनुवाद के पड़ेगा तमिल की रचना भी पूरे देश में उसी तरह पढ़ी जाए कि भारत की राष्ट्रीय क्षमता का पूर्ण विकास समाजवादी व्यवस्था में संभव है और साहित्य की परंपरा का ज्ञान भी समाजवादी व्यवस्था में ही संभव है इसे साकार करने में परंपरा की ही भूमिका होगी समाजवादी संस्कृति पुरानी संस्कृति से नाता नहीं तोड़ती अपितु उसे आत्मसात करके आगे बढ़ती है जब पूरे देश में सभी भाषाओं का अध्ययन होगा तब सभी भाषाओं से हमारा परिचय गहरा होगा तब मानव संस्कृति की विशद धारा में भारतीय साहित्य की    गौरवशाली परंपरा का नवीन योगदान होगा

Board Exam 10th Class Hindi Subjective


           गोधूलि भाग – 2 [ Objective Question ]
 1  श्रम विभाजन और जाति प्रथा
 2  विष के दांत
 3  भारत से हम क्या सीखें
 4  नाखून क्यों बढ़ते हैं
 5  नागरी लिपि
 6 बहादुर
 7  परंपरा का मूल्यांकन
 8  जीत जीत मैं निरखात हूँ
 9  आविन्यों
 10  मछली
 11  नौबत खाने में इबादत
 12  शिक्षा और संस्कृति
13 BSEB 10th All Subject Question Paper
           पघ खंड [ Objective Question ]
 1  स्वदेशी
 2  भारत माता
 3  जनतंत्र का जन्म
 4  हीरोशिमा
 5  एक वृक्ष की हत्या
 6  हमारी नींद
 7  अक्षर ज्ञान
 8  लौटकर आऊंगा फिर
 9  मेरे बिना तुम प्रभु
           वर्णिका , भाग – 2 [ Objective Question ]
 1  दही वाली मंगम्मा
 2  ढहते विश्वास
 3  माँ
 4  नगर
 5  धरती कब तक घूमेगी
 6 BSEB 10th & 12th All Subject Question